नागपुरी भाषा के अनन्य सेवक प्रफुल्ल कुमार राय जब मंच पर होते थे तो वही अखरा बन जाता था नागपुरी भाषा परिषद और झारखंड सरकार के संस्कृति कार्य निदेशालय की ओर से बुधवार को मोराबादी स्थित जनजातीय संग्रहालय में नागपुरी दिवस सह सम्मान समारोह एवं पुस्तक लोकार्पण का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम नागपुरी के पुरोधा प्रफुल्ल कुमार राय के 98वें जन्मदिवस के मौके पर आयोजित किया गया था। इस मौके पर नागपुरी साहित्य की सेवा में लगे पार्थनंद तिवारी और नागपुरी लोक गायिका जानकी देवी को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में क्षितिज राय की लिखी पुस्तक रूपू, डॉ उमेश नंद के संपादकत्व और डॉ राम कुमार के सह संपादकत्व में लिखी पुस्तक पारंपरिक औषधीय ज्ञान सहित अन्य लेखकों की लिखी पुस्तक नागपुरी नाट्य साहित्य का उद्भव और विकास, नागपुरी एवं हिन्दी का रूप वैज्ञानिक अध्ययन और नागपुरी काव्य कर विविध आयाम का लोकार्पण किया गया। अध्यक्षीय भाषण में डॉ राम प्रसाद ने कहा कि नौजवान पीढ़ी को नागपुरी साहित्य की सेवा में लग जाना चाहिए न की पढ़ लिख कर बैठ जाय। टीआरआई के निदेशक रणेंद्र ने कहा कि प्रफुल्ल कुमार राय ने अपनी रचनाओं में लोगों की पीड़ा और वेदना को स्थान दिया, जिस कारण वह जन जन के ह्रदय में बस गए। पद्मश्री मधुमंसूरीन ने कहा कि उन्हें प्रफुल्ल कुमार राय ने ही उन्हें नागपुरी गीत गाने के लिए प्रेरित किया था। पद्मश्री मुकुंद नायक ने कहा कि प्रफुल्ल कुमार राय जब मंच पर होते थे, तब वह अखरा बन जाता था। नागपुरी गीत, संगीत और नृत्य में वह रमे हुए व्यक्ति थी। उनकी रचनाओं में झारखंड के लोगों का दर्द और व्यथा का वर्णन होता था। उन्होंने कहा कि हमें अपनी संस्कृति को बचाने के लिए अखरा को बचाना होगा। इसके लिए स्कूल, कॉलेज और गांवों में अखरा बनाना होगा। कार्यक्रम में मंच का संचालन शकुंतला मिश्रा ने किया। इस मौके पर झारखंड आंदोलनकारी रतन तिर्की, डॉ उमेश नंद तिवारी, डॉ खालिक अहमद ने भी अपने उद्गार व्यक्त किए। कार्यक्रम में कलाकारों ने मांदर की थाप पर कई गीत और नृत्य पेश किए। मौके पर नागपुरी भाषा प्रेमी, शोधार्थी, लेखक, विद्यार्थी और गणमान्य लोग मौजूद थे।

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Feb 8, 2024

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