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– पहले चरण में पूर्वी सिंहभूम जिले के 51 मुखिया होंगे प्रशिक्षित, औषधीय जड़ी-बूटियों की होगी पहचान

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : अब मुखिया जानेंगे औषधीय पौधों का महत्व और ग्रामीणों को बताएंगे उपचार के नुस्खे। इसे सुनकर आपको भरोसा नहीं होगा लेकिन कुछ इसी तरह की योजना को धरातल पर उतारने की कवायद चल रही है। दरअसल, वित्तीय वर्ष 2023-24 में केंद्र प्रायोजित राष्ट्रीय आयुष मिशन योजना के अंतर्गत आयुष गांवों का चयन किया जाना है। इसे लेकर आयुष विभाग के निदेशक डा. गुलाम मुस्तफा अंसारी ने सभी जिला आयुष पदाधिकारी को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि आयुष ग्राम के अंतर्गत कई सारे काम किया जाना है। आयुष चिकित्सा पदाधिकारी इस कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य योजनाओं को क्रियान्वित करेंगे तथा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को औषधीय पौधों की पहचान तथा घरेलू नुस्खों के उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित करेंगे।

ग्रामीण जड़ी-बूटियों की पहचान करेंगे
ये स्वास्थ्य कार्यकर्ता गांव के प्रत्येक वार्डों के स्वास्थ्य संबंधित मुद्दों की जानकारी प्रदान करेंगे। वह क्षेत्र में औषधीय जड़ी-बूटियों की पहचान करेगा। ताकि इनका उपयोग और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। वहीं, ग्रामीणों को औषधीय पौधों की खेती के लिए प्रेरित करेंगे तथा आवश्यक जानकारी व सहायता प्रदान करेंगे। वहीं, इस प्रोग्राम में शामिल ग्रामीण ग्रामीण स्वयं सहायता समूह घरेलू नुस्खों के रूप में औषधीय मिश्रणों को तैयार करेंगे तथा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की सहायता से विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं हेतु इनका उपयोग करने के लिए ग्रामीणों को जागरूक करेंगे। गांव की पारंपरिक चिकित्सकों को भी औषधीय पौधों तथा नुस्खों के रूप में उनके उपयोग की पहचान करने के लिए शामिल किया जाएगा।


आयुष ग्राम के अध्यक्ष होंगे मुखिया

पहले चरण में पूर्वी सिंहभूम जिले के 51 पंचायतों को आयुष ग्राम के लिए चयनित किया जाएगा। इसके अध्यक्ष ग्राम पंचायत के मुखिया अथवा वार्ड सदस्य होंगे। वहीं, सदस्य के रूप में समाज सेवी महिला मंडल की अध्यक्ष, एक सामाजिक कार्यकर्ता, गांव की सहिया शामिल होगी। समिति द्वारा आयुष ग्राम अंतर्गत इस योजना
का संचालन एवं अनुश्रवण किया जाएगा।


रोग से लड़ने वाले औषधीय पौधे

  • नीम : दांत व मसूड़ों के लिए नीम पेड़ की छाल, पत्तियां व उसका फल काफी इच्छा होता है। वहीं, त्वचा के इलाज में एक्जिमा, सोरायसिस और रूसी में भी इसका उपयोग किया जाता है।
  • तुलसी : यह रक्त को शुद्ध करने के साथ-साथ गले के विकारों के इलाज में इसकी पत्तियों का उपयोग किया जाता है। इसके नियमित सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
  • एनाइज : पेट फूलना, शूल और पाचन तंत्र की बीमारियों में एनाइज पौधे के बीज काफी कारगर होता है। इससे खांसी भी ठीक हो जाता है।
  • दालचीनी : यह रक्त को शुद्ध करता है और संक्रमण से निपटने में भी मदद कर सकता है।

– कैमोमाइल : इसका उपयोग बैक्टीरिया के संक्रमण से लड़ने के लिए, अवसाद और चिंता का इलाज करने के लिए, मासिक धर्म में ऐंठन के लिए, मांसपेशियों की ऐंठन के इलाज के लिए और अनियमित नींद के पैटर्न का इलाज करने के लिए किया जाता है।

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